अभिषेक सोनी

छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ में लगातार बवाल होता नजर आ रहा है। पूरा प्रदेश उपद्रव, दंगे और प्रदर्शन की आग में झुलस रहा है। लगातार हो रही घटनाओं से पूरा प्रदेश स्तब्ध है। आम नागरिक और साधारण आदमी सड़क पर उतर विरोध प्रदर्शन करने पर मजबुर है। पक्ष हो या विपक्ष आश्वासन और आरोप प्रत्यारोप जारी रखती है जिसका खामियाजा आम नागरिकों को भुगतना पड़ता है।

बलरामपुर जिले के कोतवाली थाने  में गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग के प्यून गुरूचरण मंडल (30) को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। उसके बाद उसने कथित तौर पर वहीं के बाथरूम में फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली। शाम को मंडल की मौत की खबर फैलते ही लोगों का गुस्सा उबाल पर आ गया। सैकड़ों की संख्या में लोगों ने थाने का घेराव कर पुलिस की गाड़ियों पर पथराव किया और हिंसक प्रदर्शन किया।स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने भीड़ पर आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। भीड़ ने नेशनल हाईवे पर चक्काजाम कर दिया, जिससे यातायात बाधित हो गया। हालांकि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए देर रात पुलिस अधीक्षक ने बलरामपुर थाना प्रभारी प्रमोद रूसिया और कॉन्स्टेबल अजय यादव को निलंबित कर दिया है।

हाल ही में बजरंग दल के नेता सुजीत स्वर्णकार और युवती की संदिग्ध मौत को लेकर बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने दो बार चक्काजाम कर पुलिस और सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर पुतला दहन किया था। बजरंगदल और विश्व हिंदू परिषद संगठन के लोगों ने आरोप लगाया था कि घटना में पुलिस फर्जी कहानी बता रही है और असली आरोपियों को पकड़ा नहीं जा रहा है। यह घटना लोगो के जहन से धुंधली होनी शुरू हुई ही थी कि पुलिस अभिरक्षा में व्यक्ति की मौत ने शासन और प्रशासन की कानून व्यवस्था पर कई सवालिया निशान खड़े कर दिए है।

कबीरधाम जिले के लोहारिडी क्षेत्र से भी न्यायिक हिरासत में मौत की खबर आई थी ,15 सितंबर को गांव के एक शख्स की हत्या के शक में उप सरपंच रघुनाथ साहू के घर पर पत्थरबाजी कर आगजनी की गईं थी जिससे उसकी मौत हो गई थी और परिवार के कई लोग घायल हो गए थे। न्यायिक अभिरक्षा में युवक प्रशांत साहू (27) मौत हो गई थी उसपर बीजेपी नेता के हत्या का आरोप लगा था इस पूरे प्रकरण में 165 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था।इसी आरोप में प्रशांत साहू को गिरफ्तार किया गया था। न्यायिक अभिरक्षा में मौत के बाद ग्रामीणों का आरोप था कि विवेचना के दौरान पुलिस ने अवैध तरीके से गिरफ्तारियां कीं और पूरे मामले में गंभीर लापरवाही बरती गई। इस  दंगे में भी पुलिस और लोगों के बीच झड़प हुई थी जिससे कई पुलिस कर्मियों सहित बहुत लोग हताहत हुए थे।

बलौदाबाजार में सतनामी समाज के धार्मिक स्थल पर असामाजिक तत्वों के द्वारा तोड़फोड़ किया गया था जिससे भीड़ हिंसक हो गई थी और गुस्साए भीड़ ने 10 जून को कलेक्ट्रेट में तोड़फोड़ व आगजनी की थी। आक्रोशित भीड़ ने पुलिस बल के साथ झूमाझटकी, पत्थरबाजी, मारपीट और वाहनों में तोड़फोड़ की थी।

सरगुजा संभाग के सीतापुर में राजमिस्त्री हत्याकांड की बात करें या सूरजपुर में पुलिस वाले के परिवार की हत्या की बात करें कही न कही पूरी कानून व्यवस्था लाचार नजर आ रही है। सरगुजा संभाग में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ता नजर आ रहा है।अपराधों पर नियंत्रण और कसावट लाने की कोशिश नाकाम होती दिख रही है। सीतापुर में राजमिस्त्री की हत्या कर उसके शव को निर्माणाधीन टंकी के नीचे छुपा दिया गया था जिसके बाद से सर्व आदिवासी समाज में भारी आक्रोश देखा गया था। पुलिस पर आरोपियों को संरक्षण प्रदान करने और उनका सहयोग करने जैसे कई गंभीर आरोप लगाते हुए 16 दिनों तक  सड़क पर भारी विरोध प्रदर्शन किया था। इसी क्रम में सूरजपुर जिले में आदतन अपराधी कुलदीप साहू के द्वारा सूरजपुर कोतवाली के प्रधान आरक्षक की बेटी और पत्नी की हत्या कर दी गई थी। कुलदीप साहू को पुलिस और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होने का आरोप लगा था। हालांकि जिम्मेदार इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए अपनी छवि सही करने और बेदाग बने रहने की कोशिश में लगे रहते है।

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