वन विभाग ने हाथी और जंगली जानवरों के चारा, पानी के लिए खर्च कर दिए करोड़ो रुपए
अंबिकापुर/सुरजपुर/कोरिया।अंबिकापुर, सुरजपुर, कोरिया व गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान कोरिया वन परिक्षेत्र में वन विभाग ने हाथी व जंगली जानवरों के देख भाल चारा, पानी के लिए करोड़ो रुपए खर्च कर दिए मगर आज जंगल के अंदर हाथी और जानवरों को पीने के लिए पानी उपलब्ध नहीं है पानी के कारण हाथी और जानवर जंगल छोड़ गांव की ओर पहुंच रहे हैं। सुरजपुर जिले के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत गणेशपुर-मदनपुर के जंगल में तेंदुपत्ता तोड़ने गए एक बुजुर्ग को दंतैल हाथियों ने कुचलकर मार डाला गांव वाले हाथियों के डर से रतजगा करने पर विवस है।वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी अपने निवास पर ही रहना पसंद कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर, सुरजपुर, कोरिया व गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान कोरिया जिले में हाथी व जानवरों के लिए चारा, पानी के लिए तालाब, स्टॉप डैम, चेक डेम, डबरी, सौर ऊर्जा लाइट, टॉर्च, मसाल, पंपलेट, मिर्च पाऊडर, गज वाहन, लाउडस्पीकर से अनाउंस, जन चौपाल के नाम पर कागजों में करोड़ो रुपए खर्च करने का मामला प्रकाश में आया है। आज ऐसी स्थिति बनी हुई है कि जंगल में हाथी और जानवरों को पीने के लिए 80 प्रतिशत पानी उपलब्ध नहीं है। जंगल के जानवर पानी के कारण भटककर गांव की ओर विचरण कर रहे हैं। वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी कागजों में निर्माण कार्य कराकर करोड़ो रुपए के आसामी बने हुए हैं इसके बाद भी वन विभाग अधिकारी-कर्मचारी अपने निवास में रहना पसंद करते हैं। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि प्रत्येक वर्ष लाखों रुपए खर्च कर हजारों वृक्षारोपण किया जाता है मगर 15 से 25 प्रतिशत ही पौधा जीवित होता है। प्रत्येक वर्ष वृक्षारोपण के नाम पर सरकार को लाखों रुपए का नुकसान पहुंच रहा है। विगत पांच वर्षों का निष्पक्ष उच्च स्तरीय जांच हो जाए तो करोड रुपए का खुलासा सामने आएगा कई वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के ऊपर रिकवरी निकलेगा। वन विभाग के लापरवाही के कारण जंगल में तेंदुपत्ता तोड़ने, लकड़ी लेने गए ग्रामीण महिलाएं, पुरूष जंगली जानवरों का शिकार हो रहे हैं। हाथियों ने कितने गरीबो का घर तोड़ डाला।