नई दिल्ली: सिद्धारमैया कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री होंगे। वहीं कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार डिप्टी सीएम बनाए जाएंगे। 13 मई को चुनावी नतीजे आने के बाद से ही सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच सीएम पद के लेकर रेस जारी थी। लेकिन आज कांग्रेस ने कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान कर दिया है। सिद्धारमैया ही कार्नाटक के असली बॉस बनाए गए हैं। हम आपको ये बताएंगे कि आखिर वो कौनसे फैक्टर रहे जिनकी वजह से सिद्धारमैया ने डीके शिवकुमार को सीएम की रेस से बाहर कर दिया-

1.कांग्रेस हाईकमान ने सीएम नाम तय करने के लिए बैंगलुरू में विधायकों से सीक्रेट बैलेट से वोटिंग करवाई थी जिसमें ज्यादातर विधायकों ने सिद्धारमैया को चीफ मिनिस्टर बनाने के पक्ष में वोटिंग की। सूत्रों ने बताया कि सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाना 2024 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए ये फॉर्मूला तैयार किया गया है।

2.असल में सिद्धारमैया का कर्नाटक में बड़ा सियासी रसूख है। उन्हें कर्नाटक की कुरुबा जाति का बड़ा चेहरा माना जाता है। लोग बताते हैं कि सिद्धारमैया का बर्ताव काभी रूखा रहता है लेकिन फिर भी वह जनता के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। सियासी जानकार कहते हैं कि वह सामाजिक न्याय के लिए लगातार आवाज़ उठाते रहे हैं।

3.अगर सिद्धारमैया के सियासी अनुभव की बात करें तो वह नौ बार विधायक रह चुके हैं और 2013 से 2018 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री भी रहे हैं और अब फिर से सीएम की पोस्ट संभालेंगे। उनके पास राज्य में सरकार चलाने का अच्छा खासा अनुभव है। सिद्धारमैया के नाम लगातार 13 बार बजट पेश करने का भी अनोखा रिकॉर्ड है।

4.सिद्धारमैया के पास ना सिर्फ शासन-प्रशासन चवाने का अनुभव है बल्कि वे साशन की खैर-खबर भी बारीकी से रखते हैं। इस बात का आप अंदाजा ऐसे लग सकते हैं कि उन्हें अपने विभाग से जुड़े तमाम आंकड़े उंगलियों पर रटे होते हैं। उनकी इस खासियत पर विभाग के अफसर भी सिद्धारमैया के मुरीद रहते हैं। बताया जाता है कि प्रशासन पर सिद्धारमैया की गजब की पकड़ है। वे जिस तरह फाइलें पढ़ते हैं, वो तरीका भी जबरदस्त है।

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