झांसी। मेडिकल कॉलेज के बच्चा वॉर्ड में लगी आग का कहर अब भी जारी है। घटना के बाद दूसरे के बच्चे को ले जाने वाली लक्ष्मी का जब उसका बेटा मिला तो उसकी हालत गंभीर थी। इसके अलावा रेस्क्यू में बचाए गए काजल और पूजा के बच्चे की भी स्थिति गंभीर थी। इन तीनों के बच्‍चों ने बुधवार को उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। अब तक 15 बच्चों की मौत हो चुकी है।

15 नवंबर की रात मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू वॉर्ड में लगी आग में 10 नवजात बच्चों की झुलसने से मौत हो गई थी। रेस्क्यू ऑपरेशन में 39 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था। उन्हें मेडिकल कॉलेज के वॉर्ड 5, जिला अस्पताल, मऊरानीपुर व दो प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती कराकर उपचार कराया जा रहा था। इनमें कुछ बच्चे अपने माता-पिता के साथ चले गए थे।रक्सा थाना क्षेत्र स्थित ग्राम बमेर निवासी लक्ष्मी-महेंद्र को 13 नवम्बर को जिला अस्पताल में एक बेटा हुआ था। उसके बीमार होने पर चिकित्सकों ने 15 नवंबर को मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया था। यहां उसे एनआईसीयू वॉर्ड में भर्ती कर लिया गया। उसे लगातार हिचकियां आ रही थीं।

महेंद्र के अनुसार, बेटे को भर्ती कराने के बाद वह और पत्नी लक्ष्मी वॉर्ड के बाहर लेटने के लिए कपड़ा बिछा रहे थे। इसी दौरान चीखने की आवाज सुनाई दी। पास जाकर देखा तो पता चला कि आग लग गई है। हमने भी कोशिश की और एक बच्चे को लेकर बाहर आए।

बताया गया कि वह हमारा बेटा है। उसे हम प्राइवेट अस्पताल में ले गए। दो दिन बाद मालूम हुआ कि वह हमारा नहीं, गरौठा थाना क्षेत्र स्थित ग्राम गोरपुरा निवासी कृपाराम का बेटा है। हमारा बेटा दो दिन मेडिकल कॉलेज में लावारिस बना रहा। जब हमें हमारा बेटा मिला तो उसकी तबियत कुछ ठीक नहीं थी। उसे ऑक्‍सीजन सपोर्ट पर रखा गया था। उपचार के दौरान मंगलवार की रात उसने दम तोड़ दिया।

रक्सा थाना क्षेत्र स्थित ग्राम बाजना निवासी काजल-बॉबी के बच्चे ने मंगलवार की रात एवं मऊरानीपुर निवासी पूजा-कृष्णकान्त के मासूम की बुधवार को मौत हो गई।
सीएमएस डॉ. सचिन माहुर ने उक्त तीनों बच्चों की मौत की पुष्टि करते हुए बताया कि रात में ही उनका पोस्टमॉर्टम कराकर शव परिजनों के सुपुर्द कर दिए गए। अभी तक अग्निकाण्ड में 10 एवं बीमारी के चलते 5 बच्चों की मौत हो चुकी है।

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