अंबिकापुर। होली क्रॉस वीमेंस कॉलेज वीमेंस सेल भूगोल विभाग व हारमनी समाज सेवी संस्थान के संयुक्त तत्त्ववधान में छात्राओं को विकास के सही सोपान कैसे तय किए जा सकते हैं,यह समझाने के लिए अंबिकापुर शहर के पास सूरजपुर जिले में स्थित कल्याणपुर ग्राम का चयन फील्ड सर्वे के लिया किया गया। उसके पीछे वजह यह थी कि,यहां पर कई किसान कृषि की आधुनिक पद्धति का इस्तेमाल कर अच्छा उत्पादन कर प्रतिष्ठित जीवन जी रहे हैं।उन्होंने ऐसे फल उपजाने का प्रयोग भी किया है, जिनके लिए यहां पर उपयुक्त जलवायु नही है।

कृषि प्रधान देश में पढ़े लिखे लोगों द्वारा कृषि कार्य में दिलचस्पी लेना शुभ_संकेत है। इसके अलावा कांता शर्मा द्वारा अपने घर को स्वयं द्वारा बनाए गए भित्ति चित्रों से सजाया जाना विद्यार्थियों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक रहा। भारतीय कला और संस्कृति के संरक्षण का ऐसा अनुपम उदाहरण विरले ही देखने को मिलता है। कला के अतिरिक्त ग्रामीण स्थानीय स्वशासन ,वहां की सामाजिक आर्थिक दशा शिक्षा स्वास्थ्य ,साक्षरता व इनसे संबंधित जमीनी समस्याओं से परिचित कराने हेतु यह सर्वे कराया गया। इसके अलावा कल्याणपुर में स्थापित मॉडर्न कॉन्वेंट स्कूल नाम से चल रहे एक अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में विद्यार्थियों के लिए “विकसित भारत निर्माण में महिलाओं का योगदान” इस विषय पर डॉ सीमा मिश्रा विभागाध्यक्ष भूगोल एवं डा. इति चतुर्वेदी डायरेक्टर हारमनी समाज सेवी संस्थान ने विद्यार्थियों से अपनी और उनकी विचाराभिव्यक्ति के माध्यम से उन्हें यह बताने का प्रयास किया कि महिलाओं को प्रतिभा प्रदर्शन के लिए तैयार करना व अवसर प्रदान किया जाना विकसित भारत निर्माण के लिए कितना आवश्यक है।

इस कार्यक्रम की रूपरेखा डॉक्टर सीमा मिश्रा विभागाध्यक्ष भूगोल, चंदा यादव , मनीषा राजवाड़े सहायक प्राध्यापक भूगोल द्वारा तैयार की गई और व्यवहार रूप में परिवर्तित करने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा डॉक्टर इति चतुर्वेदी डायरेक्टर ,हारमनी समाज सेवी संस्था, श्वेता सिन्हा प्राचार्य, मॉडर्न कॉन्वेंट, विद्यालय के समस्त शैक्षणिक व अशैक्षणिक स्टाफ , नीलाभ शर्मा, कांता शर्मा का इन सबके अलावा ग्राम की सरपंच परमेश्वरी सिंह, उपसरपंच, वरिष्ठ जन तथा ग्रामीणों का भी विशेष सहयोग रहा।


यह पूरा कार्यक्रम डॉक्टर सिस्टर शांता जोसेफ प्राचार्य होली क्रॉस वूमेंस कॉलेज अंबिकापुर के मार्गदर्शन और छात्राओं में अनुभवजन्य अधिगम को प्राथमिकता देने की प्रवृत्ति की की वजह से संभव हो पाया। कार्यक्रम समाप्ति पर छात्राओं की तरफ से जमीनी स्तर पर कार्य कर विकसित भारत के निर्माण पर सतत कार्य करने की बात कहि।

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