दंतेवाड़ा: स्वंतत्रता दिवस के मौके पर दंतेवाड़ा जिले के नक्सल प्रभावित ग्रामों बुरगुम, तुमरीगुंडा एवं बड़ेगादम में उम्मीदों का एक नया दीप जला है। यहां आजादी के 77 साल बाद पहली बार दंतेवाड़ा पुलिस और ग्रामीणों ने मिलकर तिरंगा फहराया। इस मौके पर खास बात ये रही कि सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने भी तिरंगे को सलामी दी और वे भी आजादी के जश्न में शामिल हुए।
दंतेवाड़ा जिले के तीनों गांव नक्सल गतिविधियों के कारण अतिसंवेदनशील क्षेत्र में आते हैं। इन गांवों में नक्सली स्वतंत्रता दिवस का बहिष्कार करते आए हैं। आजादी के पर्व के दिन नक्सली अंदरूनी क्षेत्रों में काला झंडा फहराकर विरोध प्रदर्शित करते हैं। ये गांव उन्हीं गांव में से थे, जहां नक्सली कुछ साल पहले काला झंडा फहराते थे।
दंतेवाड़ा जिले में शासन की सुरक्षा की नीति के चलते ग्रामीणों का नक्सलवाद से मोहभंग हो रहा है। ग्रामीण समाज की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। इसके साथ ही स्थानीय नक्सलियों को सरेंडर करने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं। तुमरीगुंडा जो इंद्रावती नदी के दूसरी ओर स्थित है, वहां पर दंतेवाड़ा पुलिस ने तिरंगा फहराया।दंतेवाड़ा रेंज डीआईजी कमलोचन कश्यप एवं दंतेवाड़ा एसपी गौरव के निर्देशन में दंतेवाड़ा जिला के घोर नक्सल प्रभावित गांव बुरगुम, तुमरीगुंडा एवं बड़ेगादम में आजादी की 77वीं वर्षगांठ में जिला पुलिस बल डीआरजी एवं बस्तर फाइटर्स के जवानों द्वारा ग्रामीणों की ग्रामीणों की उपस्थिति में तिरंगा फहराया गया।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीण एवं स्कूली बच्चे भी शामिल हुए जिसे देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि नक्सलगढ़ में लाल आतंक की जड़ें कमजोर हो रही है और वो दिन भी दूर नहीं जब ग्रामीण नक्सलवाद के भय से मुक्त होकर आजादी का खुलकर जश्न मना पाएंगे।
वर्तमान में इन गांवों के आसपास के लोग जो नक्सलियों के बहकावे में आकर नक्सली संगठन में शामिल हुए थे, वे शासन द्वारा चलाये जा रहे नक्सल पुनर्वास नीति व लोनवर्राटू अभियान के तहत आत्मसर्मपण कर योजनाओं का लाभ लेते हुए सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
दंतेवाड़ा जिले में लोन वर्राटू अभियान के तहत पुलिस को लगातार सफलता मिल रही है। अभी तक कुल 615 नक्सलियों द्वारा आत्मसमर्पण किया गया है, जिसमें 159 इनामी नक्सली शामिल हैं। वे नक्सली जो कभी ‘लाल आतंक’ का साथ दिया करते थे, वही अब भारत माता की जय के नारे लगा रहे हैं।