बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि हिंदू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम के अनुसार अविवाहित बेटी अपनी शादी में होने वाले खर्चों के लिए अभिभावकों पर दावा कर सकती है। कोर्ट के इस आदेश के बाद अविवाहित पुत्री को छह साल बाद राहत मिली है। जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने इस टिप्पणी के साथ ही दुर्ग फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया है। साथ ही मामले में पुनर्विचार कर निर्णय लेने का आदेश दिया है।
भानूराम भिलाई स्टील प्लांट में कार्यरत थे और अब वे रिटायर्ड हो गए हैं। उनकी बेटी राजेश्वरी ने साल 2016 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया कि उनके पिता अब जल्द ही रिटायर होने वाले हैं। रिटायरमेंट के दौरान उन्हें करीब 55 लाख रुपए मिलेंगे। उसने कोर्ट से पिता को उसे 20 लाख रुपए देने के आदेशित करने की मांग की। तब हाईकोर्ट ने याचिका को चलने योग्य नहीं पाते हुए जनवरी 2016 को खारिज कर दिया था। साथ ही उसे हिंदू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम 1956 की धारा 20(3) के प्रावधानों के तहत संबंधित फैमिली कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत करने की छूट दी थी।
हाईकोर्ट के आदेश पर उसने दुर्ग के फैमिली कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत किया, इसमें उसने खुद की शादी के लिए 25 लाख रुपए पिता को देने के निर्देश देने की मांग की। फैमिली कोर्ट ने 20 फरवरी 2016 को उसका आवेदन खारिज कर दिया था। इसके बाद उसने फैमिली कोर्ट के आदेश को साल 2016 में चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी।
युवती ने फैमिली कोर्ट में प्रस्तुत किए गए आवेदन में खुद की शादी पर होने वाले खर्च के लिए पिता से 25 लाख रुपए का दावा किया था। युवती ने कोर्ट को बताया था कि उसके पिता को रिटायर होने पर करीब 75 लाख रुपए मिले हैं। लिहाजा, उसे 25 लाख रुपए दिलाए जाए। छह साल बाद अब युवती के पक्ष में हाईकोर्ट ने फैसला दिया है और फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम 1956 की धारा 20 के तहत बच्चों व बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी तय की गई है। ऐसे में अविवाहित पुत्री अपनी शादी की खर्च के लिए अभिभावक की संपत्ति पर दावा कर सकती है।
हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि भारतीय समाज में शादी से पहले और शादी के दौरान खर्च की जरूरत पड़ती है। युवती अविवाहित है और अपने अभिभावकों पर आश्रित है। हिंदू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम के प्रावधान अविवाहित बेटी के अधिकार का संरक्षित करता है। हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि अधिनियम के तहत अविवाहित बेटी खुद की शादी के लिए अभिभावकों से खर्च का दावा करने का अधिकार है।