डेस्क: देश में मध्यम आकार के बैंक ग्राहकों ने पिछले साल यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ट्रांजैक्शन फेल होने की दर में बढ़ोतरी का अनुभव किया। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के लेटेस्ट आंकड़े बताते हैं कि आरबीएल बैंक, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी), पंजाब एंड सिंध बैंक, बंधन बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के कस्टमर्स परेशान रहे। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, प्रेषक बैंकों की ओर से ‘बड़ौदा यूपी बैंक’ में मई 2023 और अप्रैल 2024 के बीच औसतन 16% पर सबसे अधिक तकनीकी डिफ़ॉल्ट (टीडी) दर थी। , इसके बाद आरबीएल बैंक, आंध्र प्रगति ग्रामीण बैंक और आईपीपीबी क्रमशः 5.3%, 4.9% और 4.47% पर थे।

खबर के मुताबिक, बेनिफिशियरी बैंकों की ओर से, बड़ौदा यूपी बैंक 12% तकनीकी डिफ़ॉल्ट दर के साथ फिर से लिस्ट में सबसे ऊपर रहा। पंजाब और सिंध बैंक, बंधन बैंक, आरबीएल बैंक और आईपीपीबी 2.4%-3.1% की सीमा में टीडी दरों के साथ टॉप-10 सूची में शामिल हैं। यूपीआई ट्रांजैक्शन फेल होने की दो बड़ी वजह सामने आई। एक, तकनीकी डिफ़ॉल्ट और दूसरा, बिजनेस डिक्लाइन। तकनीकी डिफ़ॉल्ट, बैंक या एनपीसीआई की तरफ से नेटवर्क संबंधी समस्याओं की वजह से होते हैं। बिजनेस डिक्लाइन कस्टमर की गलती जैसे इनवैलिड पिन या गलत अकाउंट नंबर डालने या प्रति ट्रांजैक्शन लिमिट पार करने के चलते होता है।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बीते 7 जून को, मौद्रिक नीति समिति की मीटिंग के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि जब भी यूपीआई सेवाओं में कोई रुकावट आती है, तो समस्या एनपीसीआई या यूपीआई की तरफ से नहीं, बल्कि बैंक की तरफ से होती है। दरअसल, एक ही समय में हजारों यूपीआई ट्रांजैक्शन होते हैं और उन्हें नैनो सेकंड के भीतर कई लूप से गुजरना पड़ता है, इसलिए तकनीकी चुनौतियों का सामना करने वाले कुछ बैंकों को तकनीकी डिफ़ॉल्ट दरें हाई मिल सकती हैं।

बैंकों या ऋणदाताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके सर्वर में एक ही समय में हजारों लेनदेन को संभालने की क्षमता हो, और एएनपीसीआई को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके सर्वर लेनदेन को सही ढंग से पहचानने और स्विच करने में सक्षम हों। बैंक अपनी ओर से इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं।

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