जगदलपुर: छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में आदिवासी व नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बसे चांदामेटा गांव ने काफी सुर्खियां बटोरी थी। पहली बार इतिहास में चांदामेटा में पोलिंग बूथ बनाया गया था, जहां 267 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। अब लोकसभा चुनाव से पहले चांदामेटा के ग्रामीण खुश नहीं है, बल्कि सरकार की अनदेखी से नाराजगी जाहिर करते हुए चुनाव के बहिष्कार की बात कह रहे हैं।
दरअसल चांदामेटा के ग्रामीणों से जनप्रतिनिधियों ने चुनावी वादा किया था और चुनाव खत्म होते ही मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात कही थी, लेकिन दोबारा किसी जनप्रतिनिधि ने इस गांव का रुख नहीं किया। गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क तो बन गई, लेकिन पीने के पानी का नितांत अभाव है। ओड़िशा राज्य की सरहद पर बसे इस गांव का तापमान गर्मियों में 42 डिग्री से अघिक तक पहुंच जाता है। फिलहाल ग्रामीण लकड़ियों के सहारे बनाए गए कुएं के पानी को साफ कर उपयोग में ला रहे हैं।
एक कुएं के सहारे फिलहाल पूरी आबादी का जीवन कट रहा है। गर्मी और बढ़ेगी तो यह कुंआ भी सूख जाएगा। ऐसी स्थित में जीवन कैसे चलेगा। इस मामले को लेकर जब स्थानीय विधायक और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि जल्द ही व्यवस्था करवाएंगे।यहां के लोग कह रहे हैं कि अगर तत्काल हैंडपंप की सुविधा उन्हें न मिली तो वे मतदान में हिस्सा नहीं लेंगे। इस तरह से वोट देने के बाद भी मूलभूत समस्या के लिए गुहार लगाते थक चुके ग्रामीण अब वोटिंग के बहिष्कार के जरिए अपनी मांग पूरी होने की आस लगाए हैं।