रायपुर: छत्तीसगढ़ के मतदाता दलबदलुओं को स्वीकार नहीं करते हैं। राज्य गठन के बाद से अब तक हुए विधानसभा चुनाव में हर बार पार्टी बदलने वाले नेताओं को मुंह की खानी पड़ी। प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल में भाजपा के 12 विधायकों ने दलबदल किया था, लेकिन सिर्फ दो विधायक ही अगला चुनाव जीत पाए। हरिराम भारद्वाज भटगांव विधानसभा क्षेत्र से जीते थे, जो 2008 में परिसीमन के बाद सराईपाली सीट बन गई।

वहीं, रायगढ़ से शक्राजीत नायक ने जीत दर्ज की थी। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रामदयाल उइके ने भाजपा का दामन थामा था, लेकिन उनको भी पाली तानाखार विधानसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा था। रामदयाल उइके ने प्रदेश में अजीत जोगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद मरवाही सीट से इस्तीफा दिया था। वर्ष 2003 में कांग्रेस ने उइके को पाली तानाखार से उम्मीदवार बनाया और उन्होंने लगातार तीन चुनाव जीते। हालांकि जब उइके चुनाव जीते, तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं बनी।

चुनाव से पहले कांग्रेस और भाजपा में शामिल होने वालों का सिलसिला तेज हो गया है। पिछले एक महीने में रिटायर्ड आइएएस से लेकर वर्तमान विधायकों ने दल बदला है। आने वाले समय में और विधायकों के दल बदलने की चर्चा है। हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने पार्टी छोड़ दी। अब वह अपनी नई पार्टी के साथ चुनाव मैदान में ताल ठोंकने की तैयारी कर रहे हैं।वहीं, लोरमी से जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विधायक धर्मजीत सिंह चुनाव से ठीक पहले भाजपा के पाले में चले गए हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के करीबी धर्मजीत सिंह ने लोरमी से पहला चुनाव 1998 में लड़ा और जीत दर्ज की। उसके बाद उनकी सिर्फ एक बार 2013 में भाजपा प्रत्याशी तोखन साहू से मुकाबले में हार हुई।

विधायक तरुण चटर्जी, शक्राजीत नायक, डाॅ. हरिदास भारद्वाज, रानी रत्नमाला, श्यामा ध्रुव, मदन सिंह डहरिया, डाॅ. सोहनलाल, परेश बागबहरा, लोकेंद्र यादव, गंगूराम बघेल, प्रेमसिंह सिदार और विक्रम भगत भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए। वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में रायपुर ग्रामीण विधानसभा सीट से विधायक रहे तरुण चटर्जी के खिलाफ भाजपा ने युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राजेश मूणत को मैदान में उतारा। उस चुनाव में मूणत से एक लाख से ज्यादा वोट प्राप्त किए और चटर्जी को हार का सामना करना पड़ा था।

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