नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने औद्योगिक अल्कोहल को विनियमित करने के अपने अधिकार का दावा किया। कहा कि औद्योगिक उपयोग के अल्कोहल पर उत्पाद शुल्क लगाने की विधायी शक्ति विशेष रूप से संसद के पास है।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ जजों की संविधान पीठ के सामने कहा कि मानव उपयोग के लिए उपयुक्त शराब और मानव उपयोग के लिए अनुपयुक्त शराब को अलग-अलग मानने का निर्णय बहुत सोच-समझकर लिया गया था।मानव उपयोग के लिए उपयुक्त शराब का मामला राज्य विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है, जबकि मानव उपयोग के लिए अनुपयुक्त (नहीं पीने योग्य) शराब का मामला संसद के अधिकार क्षेत्र का विषय है।
मालूम हो कि प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली संविधान पीठ औद्योगिक अल्कोहल के उत्पादन, विनिर्माण, आपूर्ति और विनियमन में केंद्र और राज्यों की शक्तियों के मुद्दे की सुनवाई कर रही है।