कोरबा। जिले में सोमवार को दो अलग-अलग तस्वीर सामने आई। इससे स्वास्थ्य विभाग की पोल खुल गई। इन तस्वीरों ने लोगाें को झकझोर दिया। बेहतर सुविधा का दावा करने वाले प्रशासनिक अधिकारियाें के लिए भी ये घटनाएं आंखें खोलने वाली रही। एक तरफ वाहन उपलब्ध नहीं होने की वजह से बेबस पिता को बाइक में बच्चे के शव को लेकर 65 किलोमीटर का सफर करना पड़ा। वहीं दूसरी ओर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों की अदूरदर्शिता की वजह से जन्म के बाद नवजात को जान गंवानी पड़ी।
जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर ग्राम अरसेना में पानी में डूबने से मृत बच्चे के शव के पोस्ट मार्टम के लिए वाहन नहीं मिला। मजबूर पिता को बच्चे के शव को बाइक में ढोकर लंबी दूरी का सफर तय कर जिला मेडिकल अस्पताल आना पड़ा। इस घटना से चिकित्सा व्यवस्था की अमानवीय चेहरा सामने आ गया है। ग्राम अरसेना में दरशराम यादव अपने परिवार समेत खेती किसानी कर जीविकोपार्जन करता है।
सोमवार की सुबह उसकी पत्नी अपने डेढ़ साल के बच्चे अश्विनी को लेकर खेत गई थी। खेत की मेड़ में बच्चे को छोड़कर वह निंदाई के काम में व्यस्त हो गई। खेत से लगी डबरी में वर्षा के कारण पानी भरा था। खेलते-खेलते अश्विनी डबरी की ओर चला गया। मां की भी सुध बच्चे की ओर नहीं रही। मां ने थोड़ी देर बाद जब मेड़ की ओर देखा तो बच्चा गायब था। वह खेत से काम छोड़ मेड़ की ओर दौड़ी। तब तक बहुत देर हो चुकी था। अश्विनी डबरी में डूब चुका था। मां उसे उठाकर अस्पताल ले जाने के लिए दौड़ पड़ी। आनन फानन में पिता दरशराम बच्चे को लेकर लेमरू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा। यहां डाक्टरों ने परीक्षण के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी की जानी थी लेकिन स्थानीय अस्पताल में इसकी सुविधा नहीं थी। शव को जिला अस्पताल के मर्च्युरी ले जाना था।
दरशराम ने स्वास्थ्य कर्मियों से शव वाहन उपलब्ध कराने की मांग की। पिता का दर्द उस समय दोगुना हो गया जब दुध मुंहे बच्चे के शव के लिए वाहन उपलब्ध कराने में विभाग ने असमर्थता जता दी। मजबूर दरशराम को अपने दुधमुंहे बच्चे के शव को प्लास्टिक में लपेट कर 65 किलोमीटर मोटर साइकिल से सफर कर जिला अस्पताल आना पड़ा। तब कहीं जाकर अंत्येष्टि के लिए शव को पुलिस ने सुपुर्दनामा किया। पूरी घटना क्रम ने चिकित्सा विभाग की कलई खोल दी है।
संजीवनी 108 की भी सुविधा नहीं
जिले में संजीवनी 108 के 12 वाहन उपलब्ध कराए गए थे , जिसमें तीन खराब हो चुके हैं। स्वीकृत वाहनों में एक वाहन की तैनाती लेमरू अस्पताल के लिए किया गया है। यह वर्तमान में खराब पड़ा हुआ है और इसकी जगह कोई वैकल्पिक व्यस्था नहीं की गई है। दूरस्थ गांव होने की वजह से 112 की भी यहां तैनाती की जा सकती है लेकिन वह भी नहीं की गई है। आपात स्थिति में लोगाें को एंबुलेंस के आने का इंतजार करना पड़ता है। स्थिति गंभीर और लंबी दूरी होने की वजह निजी वाहनों से ही मरीज को ले जाना पड़ता है।
जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एस एन केशरी ने बताया किअस्पतालों में हुई घटनाओं की जानकारी मिली है। मामले में जांच के निर्देश दिए गए हैं। दोषियाें पर कार्रवाई की जाएगी। ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो इस दिशा में आवश्यक सुधार किया जाएगा।