नई दिल्ली। देश में लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है। इस बीच दो रिटायर्ड जजों और एक अखबार के पूर्व संपादक ने राहुल गांधी और पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ओपन डिबेट के लिए आमंत्रित किया, जिसे कांग्रेस नेता ने शनिवार को स्वीकार किया और पीएम मोदी को चुनौती दी है। वहीं, भाजपा ने इस चुनौती को लेकर राहुल पर पलटवार किया है।
कांग्रेस नेता ने आमंत्रण को स्वीकार करते हुए एक्स पोस्ट में लिखा कि देश प्रधानमंत्री जी से भी इस संवाद में हिस्सा लेने की अपेक्षा करता है।
स्वस्थ लोकतंत्र के लिए प्रमुख दलों का एक मंच से अपना विज़न देश के समक्ष रखना एक सकारात्मक पहल होगी।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 11, 2024
कांग्रेस इस पहल का स्वागत करती है और चर्चा का निमंत्रण स्वीकार करती है।
देश प्रधानमंत्री जी से भी इस संवाद में हिस्सा लेने की अपेक्षा करता है। pic.twitter.com/YMWWqzBRhE
भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने यह दावा किया कि अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत के बाद राहुल गांधी अपनी प्रासंगिकता को लेकर बैचेन हैं और चर्चा में बने रहने के लिए जोर लगा रहे हैं।उन्होंने कहा,डिबेट अच्छी बात है। मगर मौजूदा प्रधानमंत्री को राहुल गांधी से क्यों बहस करनी चाहिए। वह न तो कांग्रेस अध्यक्ष हैं और न ही इंडी गठबंधन का पीएम फेस हैं। कांग्रेस को राहुल गांधी को दोबारा लॉन्च करने के लिए ब्रांड मोदी का इस्तेमाल बंद करना चाहिए।
इधर, बेंगलुरु साउथ लोकसभा सीट से भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने राहुल के डिबेट चैलेंज पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राहुल गांधी कौन हैं, जो पीएम मोदी उनसे बहस करें? राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के पीएम उम्मीदवार भी नहीं हैं, भारतीय गठबंधन की तो बात ही छोड़ दें।
पहले उन्हें खुद को कांग्रेस का पीएम उम्मीदवार घोषित करवाएं, कहें कि वह अपनी पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेंगे और फिर पीएम को बहस के लिए आमंत्रित करें। तब तक, हम किसी भी बहस में उनका मुकाबला करने के लिए अपने भाजयुमो प्रवक्ताओं को तैनात करने के लिए तैयार हैं।
बता दें कि द हिंदू अखबार के पूर्व संपादक एन. राम, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन लोकुर और दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ए.पी. शाह ने दोनों नेताओं से गैर-व्यावसायिक और गैर-पक्षपातपूर्ण मंच पर सार्वजनिक बहस में भाग लेने का आग्रह किया था। पत्र में आग्रह किया,इस तरह की सार्वजनिक बहस न केवल जनता को शिक्षित करके, बल्कि एक स्वस्थ और जीवंत लोकतंत्र की सच्ची छवि पेश करने में भी एक बड़ी मिसाल कायम करेगी।
तीनों ने नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी से आग्रह किया कि यदि उनमें से कोई भी भाग लेने के लिए उपलब्ध नहीं है तो बहस के लिए एक प्रतिनिधि को नामित करें।