सिंगरौली: विद्युत उत्पादक कंपनियों से कोयला जलने के बाद निकलने वाली राख से राहत को लेकर एनजीटी ने अस्पष्ट दिशा निर्देश जारी किया है लेकिन निर्देश पर कंपनियों द्वारा अमल नहीं किया जा रहा है नतीजा एक और जहां फ्लाई एस डैम के नजदीक मैं बसी बस्तियों मेरा वासियों को राख खाने को मजबूर हैं। वहीं बाजार में दुकानदार व दो पहिया वाहन चालक फ्लाई ऐश परिवहन के कारण मनमानी झेल रहे हैं।
एनजीटी ने विद्युत उत्पादक कंपनियों को निर्देशित किया है कि वह फ्लाई एस को अब डैम में कम से कम डालने का प्रयास करें। साथ ही जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि कंपनियों को नए डैम बनाने की अनुमति नहीं दी जाए कंपनियों को सलाह दिया गया कि उनके द्वारा फ्लाई एस के उपयोग का स्थाई विकल्प तलाशा जाए ताकि फ्लाई एस की समस्याओं से राहत मिल सके।
लेकिन हैरत की बात यह है कि एनजीटी की ओवर साइट कमेटी की ओर से निर्देश जारी किए 3 वर्ष अधिक समय बीत चुका है लेकिन अभी तक कंपनियां ना ही कोई अस्थाई विकट तैयार कर सके हैं और ना ही जिला प्रशासन उनके फ्लाई एस के उचित बंदोबस्त की व्यवस्था बनवा पाया है।
दिखावे की योजना हवा में
पूर्व में एनटीपीसी बिन नगर के अधिकारियों ने दावा किया था कि वह यहां जिले में सीमेंट फैक्ट्री संचालित करने की कोशिश में लगे हैं सीमेंट फैक्ट्री का संचालन शुरू होने पर भारी मात्रा में फ्लाई एस का उपयोग सीमेंट बनाने में किया जाएगा फिलहाल अभी तक ना सीमेंट फैक्ट्री के संचालन की नौबत आई और ना ही फ्लाई एस के उपयोग का उचित बंदोबस्त किया गया। जिसके वजह से फ्लाई एस डैम में भारी मात्रा में राखड़ होने की वजह से लोगों का जीना हराम हो गया है।
सुझाव दिए गए
औद्योगिक कंपनियों को यह सुझाव दिया गया कि राखड़ का उपयोग सीमेंट फैक्ट्रियों में, फ्लाई ऐश ईट बनाया जाए, हाईवे निर्माण में उपयोग किया जाए, पत्थर की बंद खदानों में भरे, निजी उपयोग के लिए निशुल्क दें, लेकिन इनमें से कोई भी सुझाव पर अमल करते नहीं दिख रही स्थाई कंपनियां ना ही जिला प्रशासन करवाने में कामयाब हो रहा है।