अंबिकापुर/बलरामपुर। बलरामपुर जिले के राजपुर क्षेत्र में स्थित खोडरो से लेकर खोखनिया तक की सात किलोमीटर लंबी पीएमजीएसवाई की सडक पूरी तरह उखड गया है। इसके बाद भी सडक का निर्माण नहीं किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि 2019 में विधायक जब यहां वोट मांगने आए थे तब उन्होंने यहां के लोगों को भरोसा दिया था कि इस सडक का निर्माण कराया जाएगा। इसके बाद जब वे चुनाव जीते तो लोगों की उम्मीद बढ गई कि अब यह सडक बन जाएगी। ग्रामीणों ने इसके बाद कई बार उनसे सडक निर्माण की मांग की और सिर्फ आश्वासन मिलता रहा लेकिन अब तक सडक का निर्माण नहीं हो सका है। इससे ग्रामीणों में नारागजी है। रेवतपुर के ग्रामीणों ने बताया कि चांची मोड से खोडरो तक सडक का निर्माण किया गया है लेकिन खोडरो से रेवतपुर होते हुए खोखनिया तक की सडक इतनी खराब है कि बरसात के दिनों में लोग इस सडक पर चल नहीं पाते हैं। बडे बडे गडढों में पानी और कीचड से चलना मुश्किल हो जाता है। सडक की जर्जर हालत इस मार्ग पर चलने वाले भारी वाहनों की वजह से हुआ है। वहीं अब जब यह सडक पूरी तरह जर्जर हो गया है तो अब खोडरो से धंधापुर होते हुए छिदियाडाड मार्ग पर भारी वाहन चल रहे हैं। इससे टायरिंग उखडने लगी है और ग्रामीणों का कहना है कि कुछ दिन में वह सडक भी चलने के लायक नहीं रहेगी लेकिन अधिकारियों और नेताओं का इस तरफ तनिक भी ध्यान नहीं है।
अफसर सिर्फ कर रहे टेंडर की बात
सामरी विधानसभा के रामानुजगंज मुख्य मार्ग स्थित चांची मोड से खोडरो होते हुए रेवतपुर, खोखनिया से लोग सूरजपुर जिले के प्रतापपुर मुख्यमार्ग से जुड जाते हैं। इसके कारण यह मार्ग बेहद ही महत्वपूर्ण है। इस वजह से इस मार्ग पर यातायात का दबाव दूसरे ग्रामीण सडकों की अपेक्षा अधिक है। ग्रामीणों ने बताया कि जब वे पीएमजीएसवाई के अधिकारियों से बात करते हैं तो उनका कहना होता है कि जल्द ही टेंडर जारी किया जाएगा लेकिन इस बात को करते दो साल हो गए लेकिन अब तक निविदा नहीं निकाली गई है।
सब्जी लेकर मंडी जाने वाले किसान परेशान
इस मार्ग के जर्जर होने के कारण कई सडक हादसे भी हो चुके हैं। ग्रामीणों की मांग है कि इस मार्ग को खोडरो से सूरजपुर जिले के खडगंवा तक डामरीकरण कर बनाया जाए ताकि उन्हें परेशानी से राहत मिल सके। इस सडक के नहीं बनने से धंधापुर, रेवतपुर, खोखनिया, परसवारकला सहित अन्य गांव के हजारों ग्रामीण परेशान हैं। इन गांवों में सब्जियों की खेती सबसे अधिक होती है तो गन्ना का उत्पादन भी अधिक है और किसान इसी जर्जर सडक से अपना उत्पाद बेचने बाजार जाते हैं तब सडक की दयनीय हालत पर वे नाराज नजर आते हैं।