अम्बिकापुर: छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अंतर्गत संचालित कालीन बुनाई केन्द्रों में महिलाएं हुनर का इस्तेमाल कर जीविकोपार्जन का साधन जुटाने में सक्षम हो रहीं हैं और अपने जीवन में सुनहरे रंग भर रहीं हैं। सरगुजा जिले में वर्तमान में 6 यूनिट में 114 महिलाएं कालीन निर्माण कर स्वरोजगार से जुड़ चुकी हैं जिनमे रघुनाथपुर की 20, बटवाही की 20, गंगापुर की 20, सिरकोतंगा की 20, दरिमा की 16 तथा कमलेश्वरपुर की 18 महिलाएं शामिल हैं।

छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अंतर्गत स्व-सहायता समूह की महिलाओं को कालीन बुनाई का त्रैमासिक प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को 150 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भत्ता भी दिया जाता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत महिलाएं अपनी आजीविका चलाने के लिए सक्षम हो जाती हैं। प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात महिलाएं कालीन बुनाई का कार्य केंद्र में ही करती हैं। अधिकतर महिलाएं आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की रहने वाली होती हैं। यह महिलाएं बिहान से लोन लेकर अपनी कार्य प्रारंभ करने के लिए मशीन खरीद कर बुनाई कार्य प्रारंभ करते हैं। रघुनाथपुर कालीन बुनाई सेंटर में काम करने वाली श्रीमती सुनीता बघेल ने बताया कि बुनाई कार्य प्रारंभ करने के लिए उन्होंने शासन से बिहान के माध्यम से लोन लिया। लोन लेकर मशीन खरीदकर उसमें कालीन बुनाई का कार्य करने लगी। बुनाई में प्रयुक्त कच्चे माल और अन्य मटेरियल उन्हें हस्तशिल्प बोर्ड के द्वारा ही उपलब्ध कराया जाता है। प्रत्येक मशीन में 2 महिलाएं मिलकर कालीन बुनाई का कार्य करती हैं। एक कालीन बनाने में उन्हें लगभग सप्ताह भर का समय लग जाता है। कालीन के साइज के अनुसार महिलाओं को हस्तशिल्प बोर्ड से उनका मेहनताना तत्काल दिया जाता है। इसमे औसतन लगभग 7 से 8 हजार रुपये प्रति माह की कमाई हो जाती है। सबसे अच्छी बात ये है कि महिलाएं अपने घर के काम निपटाने के पश्चात कालीन बुनाई का कार्य अपने घर के पास ही करती हैं। उनका दोनों काम हो जाता है। एक तरह से उन्हें घर के पास ही सब-रोजगार उपलब्ध हो जा रहा है। इस कालीन को हस्तशिल्प बोर्ड अपने विक्रय केंद्र के माध्यम से बिक्री करता है। वर्तमान में सरगुजा का विक्रय केंद्र अम्बिकापुर में स्थित है।

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