रायपुर: स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाये गए जन जागरूकता कार्यक्रमों के कारण मलेरिया के केसों में काफी कमी आई है। मलेरिया की बीमारी मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होती है। आमतौर पर बारिश के मौसम में मलेरिया के केस अधिक पाए जाते हैं। इसका सामान्य सा कारण बारिश का पानी अधिक दिनों तक आसपास के गड्ढे में जमा होना है।
मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी डॉ. विमल किशोर राय ने बताया, ’’राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत किए जा रहे प्रयासों के फलस्वरूप रायपुर मलेरिया उन्मूलन लक्ष्य की ओर अग्रसर है। वर्ष 2030 तक राज्य को मलेरिया मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए किए जा रहे प्रयासों से वर्ष 2000 में जहां जिले में 1,414 मलेरिया के प्रकरण मिले थे, वही 2021 में अब यह मामले घटकर 4 रह गए हैं। यह सफलता जन जागरूकता के तहत चलाए गए कार्यक्रमों से संभव हो पायी है। मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने की वजह से होता है। इसमें रोगी को बुखार, सिर दर्द होना शुरू हो जाता है। कभी यह बुखार कम होता है तो कभी बहुत तेज हो जाता है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.मीरा बघेल ने बताया, ‘’जिले में दो प्रकार के मलेरिया परजीवी पाये गए है। प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम,और प्लास्मोडियम विवैक्स, जिसमें प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम अधिक घातक होता है। इसके लिए विभाग द्वारा समय-समय पर स्पेशल ड्राइव चलाकर जन जागरूकता के कार्य किए जाते हैं ताकि लोगों को मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी से बचाया जा सके।अगर कोई व्यक्ति मलेरिया धनात्मक आता है तो उसे पूर्ण उपचार लेना चाहिए। शासकीय चिकित्सालयों में इसके लिए निशुल्क उपचार की व्यवस्था है।‘’
एंटोमोलॉजिस्ट कुमार सिंह कहते है,‘’यह जीवाणु रोगी के खून में प्रवेश करके कोशिकाओं को प्रभावित करता है। मलेरिया उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों जिसमे सब सहारा अफ्रीका और एशिया के अधिकतर देश शामिल है में मलेरिया रोग ज्यादा होता है। भारत में भी यह रोग पूरे वर्ष पाया जाता है, लेकिन बारिश के मौसम के समय इसका संक्रमण ज्यादा होता है।
मलेरिया के लक्षण
मलेरिया के सामान्य लक्षणों में बुखार आना, सिर दर्द होना, उल्टी होना, मन का मचलना, ठंड लगना, चक्कर आना, थकान लगना होते है जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ऐसी स्थिति होने पर तुरंत नजदीकी शासकीय चिकित्सालय में संपर्क कर जांच करना चाहिए।
मलेरिया के प्रकार
मलेरिया परजीवी के जिले में दो प्रकार सक्रिय है। प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम,यह मलेरिया परजीवी आमतौर पर अफ्रीका में पाया जाता है इसकी वजह से रोगी को ठंड लगने के साथ सिर दर्द भी होता है। प्लास्मोडियम विवैक्स, यह विवैक्सी परजीवी दिन के समय में काटता है और इसका असर 48 घंटे बाद दिखना शुरू होता है इस रोग की वजह से हाथ-पैरो में दर्द होना, भूख न लगना, तेज बुखार और सिर में दर्द होना है।
मलेरिया का कारण
भारत में सबसे ज्यादा मलेरिया के संक्रमण प्लास्मोडियम विवैक्स और प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के कारण होता है। एनाफिलीज मच्छर किसी मलेरिया संक्रमित रोगी को काटने के बाद किसी दूसरे व्यक्ति को काटता है तो दूसरे व्यक्ति के शरीर में भी मलेरिया के जीवाणु प्रवेश हो जाते है। परजीवी रोगी के लिवर में प्रवेश करता है तो वह कम से कम एक वर्ष या कुछ वर्ष तक रोगी के लिवर में रह सकता है। दूषित रक्त के आदान प्रदान से भी मलेरिया रोग हो सकता है।
मलेरिया बचाव और उपचार
मच्छरों को पनपने ना दे। मलेरिया के मच्छर अधिकतर शाम या रात को काटते है। उन कपड़ों का उपयोग करे जो शरीर के अधिकांश हिस्से को ढक सके। आसपास बारिश का पानी, गंदे पानी को जमा ना होने दे। इसमें मलेरिया के जीवाणु पैदा होने का खतरा अधिक रहता है। नजदीकी शासकीय चिकित्सालय में इलाज के लिए अनेक प्रकार की निःशुल्क दवाइयां उपलब्ध है। किसी भी प्रकार की शंका होने पर तुरंत जांच करवाना चाहिए।